उपन्यास >> काली पहाड़ी काली पहाड़ीममंग दई
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साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत अंग्रेजी उपन्यास “ब्लैक हिल” का हिंदी अनुवाद है यह कृति। ममंग दई अपने इस उपन्यास के बारे में कहती हैं : मेरे सामने किताबें हैं। ये मुझे इस जगह और साथ ही एक पादरी के बारे में बताती हैं जो इन पहाड़ियों में अपने क्रास और सेक्सटेंट के साथ कभी आया था। समय के साथ पीले पड़े इन कागजों में जज़्ब है उस पादरी की सोच और उसके अनुभवों की दास्तान। साथ ही है गुजरे हुए वक़्त की एक अनलिखी कहानी, जो उन पर्वतीय दीवारों के पीछे कहीं छिपी हुई है। इसी कहानी को ढूँढ़ निकालने के लिए मैंने कई दिनों की कठिन यात्राएँ कीं और एक दिन मैं एक काली पहाड़ी पर पहुँची। उदासी और मायूसी से भरपूर, दूर-दूर तक उजाड़ पड़ी इस जगह में मेरी निगाहों ने अचानक एक आधी जली खाली झोपड़ी तलाश ली, जिसके टूटे-फूटे मचानों से सूरज की किरणें उस झोपड़ी में सुनहरे बाणों की तरह बरस रही थीं। घर में कोई दिखाई नहीं दिया लेकिन मैंने वहाँ किसी के होने को महसूस किया। ऐसा लगा जैसे किसी ने वहाँ आकर एक मोमबत्ती जलाई हो। एक बंद किताब खुल रही थी। कोई मुझसे विगत दिनों की बातें कह रहा था और उसके शब्द दिन की तरह साफ-शफ्फाफ थे ! प्रत्येक शब्द स्पष्ट सुनाई दे रहे थे – एक आदमी, एक औरत और एक पादरी। हाँ, बिलकुल यही ! यह कहानी इन्हीं की है…।
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